लिच्छवीकाल सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण जानकारी
| लिच्छवी राजाहरूले बसाएका बस्तीहरू | |
| गोकर्णमा मानव वस्ती बसाउने राजा | मान देव |
| बलम्बुमा मानव बस्ती बसाउने राजा | अंशुवर्मा |
| कान्तिपुरमा मानव बस्ती बसाउने राजा | गुणकामदेव |
| आधुनिक काठमाडौँका निर्माता | गुणकामदेव |
| कान्तिपुरको स्थापना | शिवदेव तृतीय |
| थानकोटमा मानव वस्ती बसाउने राजा | शिवदेव द्वित्तीय |
| बुढानिकण्ठमा मानव बस्ती बसाउने राजा | जयदेव द्वितीय |
| भक्तपुरमा मानववस्ती बसाउने राजा | आनन्ददेव |
| ललितपुरमा मानवबस्ती बसाउने राजा | वरदेव |
| हाडी गाउँ/ हरिपुरमा मानवबस्ती बसाउने राजा | बलदेव |
| नेपालमा द्वेध शासन | |
| द्वेध शासनको शुरुवात गर्ने राजा | वसन्त देव |
| द्वेध शासनको अन्त्य गर्ने राजा | नरेन्द्र देव |
| लिच्छवीकालीन भूमि | |
| लिच्छवीकालमा खेदलाई कति भागमा बाँडिएको थियो ? | ३ खेतको स्वामित्वका आधारमा राजावारा परिवारको खेत सङ्घसंस्थाको खेत र जनसाधारणको खेत |
| आज भोलि जग्गाको मापनको रोपनी, कट्टा, आना भनेझै लिच्छविकालमा के भनिन्थ्यो ? | भुमि |
| लिच्छवी राजाहरूले चलाएका पूजाहरू | |
| नाग र वासुकी पूजाको प्रचलन | मान देव |
| कुमारी पूजाको चलन | गुणकामदेव |
| लिच्छवीकालका केही करका स्रोतहरू | |
| त्रिकर | भाग( राजस्वका प्रमुख स्रोत) र कर, भोग |
| मनिका | नापको एकाई |
| पशुहरूमा लगाइने कर | |
| भोग कर | पशुपालनमा लगाइने कर |
| मल्ल कर | भेसिमा लगाइने कर |
| मल्लयुदर गोयुद्ध कर | मनोरञ्जनमा लगाइने कर |
| सुकर कर | सुँगुरमा लगाइने कर |
| ब्यापार सम्बन्धि कर | |
| कर बेपार लगाइने कर वाणिज्यमा / | |
| आपण कर | पसलमा लगाइने कर |
| चेलकर | कपडामा लगाइने कर |
| सिस्कर | फर्निचरमा लगाइने कर ( काठ दाउरा) |
| कृषि सम्बन्धी कर | |
| भाग कर कृषि उपदानमा लगाइने कर | |
| पलाण्डु कर | प्याजमा लगाइने कर |
| पिण्डक | मालपोत |
| कर्पायण | वृद्धिकामुद्राकोएकाई |
| लिच्छवी कालीन दण्ड व्यवस्था | |
| वाकदण्ड | हप्काउने |
| धनदण्ड | जरिवाना गर्ने |
| धिकदण्ड | बेइज्जती गर्ने |
| सर्वस्वहरण | सर्वस्वहरण गर्ने |
| वधदण्ड | अङ्ग छेदन गर्ने |
| वाकदण्ड भनेको हप्काउने, घिक दण्ड भनेको बेइज्जत गर्ने, घन दण्ड भनेको आर्थिक जरिवाना गर्ने, बघ दण्ड भनेको अङ्क छेड्न गर्ने दण्ड हो | |
| मच्छिन्द्र नाथको जात्रा | |
| रातो मच्छिन्द्रनाथको रथयात्राको चलन | नरेन्द्रदेव |
| रातो मछिन्द्रनाथको भोटो जात्रा हेर्ने पहिलो लिच्छवी राजा | वर देव |
| नोट: सेतो मछिन्द्रनाथको रथयात्राको चलन प्राप्त मल्लले चलाएका थिए। |
| लिच्छविकालमा प्रचलित मुद्राहरू | |
| लिच्छवीकालमा प्रचलनमा रहेका मुद्रहरू | |
| लिच्छवीकालमा प्रचलनमा रहेका मुद्राहरू कुन कुन हुन् ? | मानाङ्क, गुणङ्क, अंशुवर्मा, पशुपति, जिरण गुप्त, वृष आदि |
| मानदेवले प्रचलनमा लगाएको मुद्रा | मानाङ्क |
| कुन धातुबाट बनाएको थियो मानाङ्क ? | तामा |
| नेपालमा सर्वप्रथम कुन राजाको पालामा मुद्रा | मानदेव |
लिच्छवी कालमा कहाँ बस्ने जनतालाई के भनिन्थ्यो ?
| लिच्छवीकालीन समयमा प्रान्तमा बस्ने जनतालाई के भनिन्थ्यो ? | जानपद |
| लिच्छवीकालीन समयमा केन्द्रमा बस्ने जनतालाई के भनिन्थ्यो ? | पौर |
| लिच्छवीकालीन अड्डा/अधिकरणहरु | |
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लिच्छवी कालमा कतिवटा अधिकरणको व्यवस्था गरिएको थियो ? |
चार (कुथेर, माप्चोक, लिङ्गवल, शुल्ली वा शौल्ला) |
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शुल्ली वा शौल्ला अधिकरण |
पञ्चापराध हेरी दण्ड सजाय गर्ने अड्डा (राजद्रोह र अपराधलाई सघाउने, परस्त्रीकरण, हत्या, चोरी) काम गर्ने |
| माप्चोक | विवाह, पुनर्विवाह र सम्बन्ध विच्छेद सम्बन्धी काम गर्ने । |
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कुथेर |
जग्गा जमिनको व्यवस्था हेर्ने अड्डा / विभिन्न करहरु उठाउने अड्डा |
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लिङ्गवल |
पानी, बानहर-ध", यातायात सम्बन्धी कार्य गर्ने । |
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बजार अड्डा |
भन्सारसम्बन्धी काम गर्ने अड्डा |
| लिच्छवीकालीन न्यायिक निकायहरु | |
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अन्तरासनः |
न्यायिक निर्णय दिनका लागी बस्ने राजा सहितको सभा वा इजलास (सर्वोच्चन्यायिक - अन्तरासन) (राजाको अध्यक्षतामा बस्ने सभा/निकाय) |
| परमासनः | पञ्चखतको मुद्दा हेर्ने अधिकार भएको अड्डा - परमासन) (राजा बाहेक अन्यको अध्यक्षतामा बस्ने न्यायिक सभा) |
| पाञ्चालीः | गाउँको मुद्दा मामिला र विकास निर्माणको काम गर्ने निकाय |
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लिच्छवीकालमा न्यायिक अधिकार को सँग थियो ? |
राजा देखि स्थानीय पाञ्चाली सम्म थियो न्याय छिटो सम्पन्न होस भनेर |
| लिच्छवी राजाका कृतिहरु | |
| शब्द विद्या ग्रन्थको रचना | अंशुवर्मा |
अंशुवर्माले रचना गरेको शब्द विद्या ग्रन्थ कस्तो ग्रन्थ थियो ? |
व्याकरण |
| अंशुवर्माले चन्द्र व्याकरण कसलाई लेखन लगाएका थिए ? | चन्द्र वर्मा गोमी |
| लिच्छवी काल र ललितपुर | |
| लिच्छवी कालमा ललितपुरलाई के भनिन्थ्यो ? | युपग्राम |
| ललितपुरको पुरानो नाम के हो ? | मनिगल |
| किरात कालमा के भनिन्थ्यो त ? | |
| पाटनको पुरानो नाम |
यल (पटनको पुरानो नाम यल, यलम्बरको नामबाट रहन गएको हो ।) |
| लिच्छवीकालीन राजा र तिनीहरुका उपनाम/उपाधि | |
| बोधिसत्वको अवतार मानिने लिच्छवी राजा | अंशुवर्मा |
| नेपालको इतिहासमा आर्दश शासक | अंशुवर्मा |
| सर्वप्रथम महाराजधिराजा उपाधि | अंशुवर्मा |
| महासामन्त, कलहाभिमानी (सरस्वतीको भक्त), पशुपतिपादानुगृहित | अंशुवर्मा |
| लिच्छवी कालका आदिपुरुष : | सुपुष्प |
| लिच्छवीकालीन आकाशको पूर्ण चन्द्र | नरेन्द्रदेव |
| महाराजधिराज परमभट्टारक को पदवी धारण गर्ने राजा | नरेन्द्रदेव |
| लिच्छवी कुलकेतु उपाधी धारण | शिवदेव प्रथम |
| प्रजा हितौषी राजा | वसन्तदेव |
| परचक्रकाम (अर्काको देश जित्ने अभिलाषा) | जयदेव दित्तीय |
| शान्ति श्री | प्रचण्डदेव |
| लिच्छवीकालिन बस्ति सम्बन्धि केही शब्दावलीहरु | |
| ग्राम | सानो गाउ |
| तल | ठुलो गाउ |
| दंग | सहरी बस्ती |
| चाण्डाल | सुद्र जाती |
| तिलमक | कुलो |